सांसों में तुम बसे हो सीने में हो धड़कते
पलकों ki सीप के मोती कहते है ढलते ढलते
तुझे भूल जाऊंगा मैं ख़ुद पे नही भरोसा
दिन रात में तुम्ही हो ख्वाबों में तुम ही बसते
सांसों में तुम बसे हो सीने में हो धड़कते
मैं हार जाऊँ सबकुछ तेरी जीत हो मुकम्मल
बस देख ले तू मुड के मर जाऊँ हँसते हँसते
सांसों में तुम बसे हो सीने में हो धड़कते
मन्दिर को मैं न मानूं मस्जिद को न jaanu
bhagwan मेरे तुम हो खुदा के तुम farishte
सांसों में तुम बसे हो सीने में हो धड़कते
आंखों में जो नशा है आंखों से ही पिया है
aa jao पास अब तुम ये कदम नही samahlte
सांसों में तुम बसे हो सीने में हो धड़कते
पलकों के सीप के मोती कहते है ढलते ढलते
Sunday, February 22, 2009
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