Tuesday, February 17, 2009

तेरा चेहरा

सांवली सूरत देख के उसकी जाने क्या हो जाता है
आँख में उसकी जादू है दिल को पागल कर जाता है
मैं जहाँ चलूँ मेरे साथ चले
उसके आँचल से शाम ढले
जुल्फों में घोर अँधेरा है
मुस्काए तो चाँद खिले
है ग़ज़ल किसी शायर का वो दिल जिसको हर पल गाता है
सांवली सूरत देख के उसकी जाने क्या हो जाता है
सातों सुर घुल जाते हैं
जब कान में वो कुछ कहती है
वक्त वहीँ थम जाता है
लहरा के जो आँचल चलती है
हर अदा का मैं दीवाना हूँ हर अदा पे ये दिल मरता है
सांवली सूरत देख के उसकी जाने क्या हो जाता है
हाथों में उसका हाथ लिए
दरिया के किनारे साथ चले
उसकी आंखों में खो जायें
जब साँस में उसकी साँस मिले
अब चांदनी भी शर्माती है, हवा भी रुख को बदलती है
सांवली सूरत देख के उसकी जाने क्या हो जाता है
आँख में उसकी जादू है दिल को पागल कर जाता है


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