सांवली सूरत देख के उसकी जाने क्या हो जाता है
आँख में उसकी जादू है दिल को पागल कर जाता है
मैं जहाँ चलूँ मेरे साथ चले
उसके आँचल से शाम ढले
जुल्फों में घोर अँधेरा है
मुस्काए तो चाँद खिले
है ग़ज़ल किसी शायर का वो दिल जिसको हर पल गाता है
सांवली सूरत देख के उसकी जाने क्या हो जाता है
सातों सुर घुल जाते हैं
जब कान में वो कुछ कहती है
वक्त वहीँ थम जाता है
लहरा के जो आँचल चलती है
हर अदा का मैं दीवाना हूँ हर अदा पे ये दिल मरता है
सांवली सूरत देख के उसकी जाने क्या हो जाता है
हाथों में उसका हाथ लिए
दरिया के किनारे साथ चले
उसकी आंखों में खो जायें
जब साँस में उसकी साँस मिले
अब चांदनी भी शर्माती है, हवा भी रुख को बदलती है
सांवली सूरत देख के उसकी जाने क्या हो जाता है
आँख में उसकी जादू है दिल को पागल कर जाता है
Tuesday, February 17, 2009
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Bhai itna dard kaha se le aaye
ReplyDeleteNeeraj Mishra